Home देश विदेश पैरासिटामोल समेत 52 दवाइयां गुणवत्ता परीक्षण में फेल, CDSCO रिपोर्ट में खुलासा

पैरासिटामोल समेत 52 दवाइयां गुणवत्ता परीक्षण में फेल, CDSCO रिपोर्ट में खुलासा

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वायरल बुखार समेत कई बीमारियों में यूज होने वाली पैरासिटामोल समेत 50 दवाइयां गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई। इस बात का खुलासा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की हालियां रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हाल ही में पैरासिटामोल समेत 53 दवाओं का गुणवत्ता परीक्षण किया। जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट से लेकर मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए जरूरी कई तरह की दवाएं शामिल हैं।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) बताया कि 50 से अधिक औषधियों को “मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं (NSQ) चेतावनी” घोषित किया है। गुणवत्ता मानकों को पूरा न करने वाली दवाओं में विटामिन सी और डी3 टैबलेट शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी सॉफ्टजेल भी शामिल है। इतना ही नहीं, एंटासिड पैन-डी, पैरासिटामोल टैबलेट आईपी 500 एमजी, एंटी-डायबिटिक दवा ग्लिमेपिराइड और उच्च रक्तचाप की दवा टेल्मिसर्टन शामिल हैं। ये दवाएं जो अपनी-अपनी श्रेणियों में सबसे ज़्यादा बिकने वाली दवाएं हैं। लेकिन, CDSCO द्वारा की गई गुणवत्ता जांच में विफल रहीं।

हेटेरो ड्रग्स, अल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL) और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड जैसे निर्माताओं को इन दवाओं के निर्माता के रूप में पहचाना गया है। यह खुलासा इन प्रसिद्ध दवा कंपनियों की विनिर्माण प्रक्रियाओं में एक प्रणालीगत समस्या की ओर इशारा करता है। इन दवाओं का निर्माण हेटेरो ड्रग्स, एल्केम लैबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (एचएएल), कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा, पेट के रोग संबंधी इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा मेट्रोनिडाजोल, जिसे पीएसयू हिंदुस्तान एंटीबायोटिक लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित किया जाता है।

यह दवाई भी गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही। इसी प्रकार, टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा वितरित और उत्तराखंड स्थित प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर द्वारा निर्मित शेल्कल भी परीक्षण में पास नहीं हो पाई। वहीं, कोलकाता में एक दवा-परीक्षण प्रयोगशाला ने पाया कि अल्केम हेल्थ साइंस की एंटीबायोटिक्स क्लैवम 625 और पैन डी नकली थीं। बच्चों में गंभीर जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हेटेरो की सेपोडेम एक्सपी 50 ड्राई सस्पेंशन को घटिया माना गया। इसी तरह, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा उत्पादित पैरासिटामोल की गोलियों की गुणवत्ता पर भी चिंता जताई गई है।

दवा नियामक ने गुणवत्ता परीक्षण में विफल होने वाली दवाओं की दो सूचियां साझा की हैं। एक में उन 48 दवाओं का विवरण था जो मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं और दूसरी में शामिल दवा कंपनियों के जवाब शामिल थे। इन फर्मों ने बड़े पैमाने पर जिम्मेदारी से इनकार किया है, समस्याओं को नकली दवाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, स्थिति की गंभीरता को और बढ़ाते हुए CDSCO ने अगस्त में 156 से अधिक निश्चित खुराक वाली दवा संयोजनों पर प्रतिबंध लगाकर निर्णायक कार्रवाई की, जिन्हें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता था

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