आज उत्तराखंड के हजारों युवा होटल इंडस्ट्री से जुड़कर दुनिया भर में अपना परचम लहरा रहे हैं। होटल में काम कर रहे उत्तराखंड के इन युवाओं ने अपनी मेहनत और बलबूते पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यही वजह है कि उत्तराखंड के लगभग 60 से 70% युवा आज होटल इंडस्ट्री से ताल्लुक रखते हैं।उत्तराखंड से होटल इंडस्ट्री में काम कर रहे लोगों में से एक ऐसा ही नाम मशहूर है। जो कि आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।
जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एकमात्र मास्टर शेफ विकास कुरियाल की (master chef vikas kuriyal), विकास कुरियाल आज दुनिया भर में किसी की पहचान के मोहताज नहीं हैं। आज वह दुनिया भर में अपने पेशे और हुनर से अपना परचम लहरा रहे हैं। वर्ल्ड मास्टर शेफ विकास कुरियाल अभी तक लगभग 12 से 15 देशों की सैर कर चुके हैं, और भारत के कई अलग-अलग राज्यों में भी काम कर चुके हैं ।
उनके इस मुकाम और मंजिल तक पहुँचने का सफर इतना आसान भी नहीं था, बल्कि इसके पीछे है उनकी दिन-रात की मेहनत, लगन और काम करने का जुनून।
जिम्मेदारी के बोझ से की शुरुआत
वर्ल्ड मास्टर से विकास कुरियाल का जन्म ग्राम सुकरी थापला, प्रतापनगर में हुआ और उन्होंने अपने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। वह अपने परिवार के छः भाई बहनों में एकमात्र अकेले सबसे छोटे भाई हैं। छोटी सी ही उम्र में पिता के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए शेफ विकास भी अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद होटलों में नौकरी करने के लिए निकल पड़े। नौकरी के पड़ाव में वह सबसे पहले चंडीगढ़ जा पहुंचे, वहां पर उन्होंने नौकरी की और होटल के छोटे-मोटे काम किए और हेल्पर से लेकर बर्तन धोने तक के कामों से शुरुआत की। धीरे-धीरे वह होटल के कामों को समझने लगे। काम करने के साथ-साथ उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी और प्राइवेट बोर्ड के जरिये उन्होंने अपनी ग्यारव्ही ओर बारहवीं की पढ़ाई पूरी की, उसके बाद साल 2002-03 में उन्होंने देहरादून के मौर्य इंस्टीट्यूट से एचएम किया और उसके बाद वह नौकरी के सिलसिले में पुणे चले गए। इसके बाद तो मानो विकास के सपनों को पंख लग गए और वह जी जान से मेहनत करने लगे चंडीगढ़ से शुरू हुआ विकास का सफर मुंबई,पुणे,नागपूर, हैदराबाद, गोवा, बेंगलुरु और देश के कई और शहरों में तक जा पहुँचा।
जैसे-जैसे शेफ विकास कुरियाल होटल के कामों में महारत हासिल करते गए। वैसे वैसे उनका एक्सपीरियंस भी बढ़ता गया। भारत के अलग-अलग शहरों में काम करने के बाद विकास कुरियाल विदेश की धरती पर काम करने के सिलसिले में सबसे पहले मलेशिया जा पहुंचे । उसके बाद उन्होंने फ्रांस,जर्मनी,थाईलैंड जैसे शहरों में काम किया। उनके काम और मेहनत का ही फल था कि साल 2000 में पंजाब के एक छोटे से ढ़ाबे से लेकर वह दुनिया के तमाम बड़े पांच सितारा होटलों में काम करने में सफल रहे और मास्टर शेफ की उपाधि हासिल कर ली।साथ ही वह दुनिया के 40 देशों के मास्टर शेफ आर्गेनाईजेशन के साथ जुड़कर मुख्यतः से काम कर रहे हैं।
मास्टर शेफ बनने के बाद विकास कुरियाल आज देश-विदेश के कई सारे होटल ब्रांड्स के साथ जुड़े हुए हैं और अपने पहाड़ के भोजन को भी विश्व स्तर पर प्रमोट करने में लगे हुए हैं।
पहाड़ से है प्रेम
मास्टर शेफ विकास कुरियाल बताते हैं कि भले उनका होटल से जुड़ा हुआ सफर काफी कठिनाइयों भरा रहा। लेकिन अब आज के युवाओं के लिए यहां प्रोफेशन आसान हो गया है। आज हम दुनिया भर में जहां भी जाते हैं तो वहाँ हमें हर राज्य और हर देश के भोजन की परंपरा देखने को मिलती है। लेकिन हमारा उत्तराखंड अभी तक इस परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में काफी पीछे है। इसके पीछे वजह है कि हमारे लोगों ने इसके लिए मिलजुल कर कोई काम नहीं किया। मास्टर शेफ विकास कुरियाल यह भी कहते हैं कि उन्हें जहां भी मौका मिलता है तो वह कोशिश करते हैं कि अपने पहाड़ी व्यंजनों को प्रमोट करें और वहां के मैनू में उन्हें शामिल करें। भविष्य में ऋषिकेश में खुलने वाले सोनू निगम के एक विश्वस्तरीय होटल के लिए उन्होंने ऐसा ही एक स्पेशल मेनू तैयार किया। जिसमें उन्होंने पहाड़ के कई व्यंजनों को शामिल किया है। जिसमें तिमले का आचार,भांग की चटनी,और कोदे का बॉर्न वीटा मुख्य आकर्षण हैं।
लोक डाउन में रही धूम
यूं तो होटल के पेशे से जुड़े रहने के बाद अपने लिए ही वक्त निकालना काफी मुश्किल होता है, लेकिन जब देश भर में लॉक डाउन चल रहा था तब मास्टर शेफ विकास कुरियाल अपने गांव थापला प्रताप नगर में पहाड़ के अलग अलग व्यंजनों को देश-विदेश के लोगों तक पहुंचा रहे थे और उन्हें बता रहे थे कि हमारे पहाड़ और उत्तराखंड की जो ऑर्गेनिक सब्जियां और खेती है उसे क्या क्या बनाया जा सकता है। लॉकडाउन में उन्होंने घिंगरु के लड्डू किंगोड़ का सलाद,मर्छे का केक, गहत के क़बाब जैसे कई सारे व्यंजन बनाये और उसकी विधि भी लोगों तक पहुंचाई।
सरकार से है नाराजगी
मास्टर शेफ विकास कुरियाल कहते हैं कि होटल से जुड़े हुए युवा अगर अपने व्यंजनों को पहचान दिलाने की कोशिश करते भी हैं तो उन्हें हमारी सरकार से कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता। जिस तरह से हमारी सरकार लोक संस्कृति, नृत्य और गीतों के लिए बढ़ावे का काम करती है उसी तरह हमारे खान-पान के लिए भी उन्हें काम करने की आवश्यकता है। अभी तक उत्तराखंड की 20 सालों में सरकार की ओर से कोई भी ऐसी पहल नहीं की गई है जिससे कि हमारे उत्तराखंड के व्यंजनों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परोसा जा सके। ऐसा नहीं है कि हमारे व्यंजनों में वह बात नहीं है व वो ताकत नहीं है। देखा जाए तो हमारे उत्तराखंड के व्यंजन और पौष्टिक आहार दुनिया में और देशों के व्यंजनों के मुकाबले कहीं बेहतर हैं, और ऑर्गेनिक के मामले में तो यह टॉप 5 में आ सकते हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडेन को खाना खिलाना है सपना
मास्टर शेफ विकास कुरियाल कहते हैं कि जल्द ही वह अपने काम के सिलसिले में एक अमेरिकी दौरे पर जा रहे हैं। जहां पर वह 3-4 रेस्टोरेंटों की शुरुआत करेंगे। अपने इसी दौरे पर वह कोशिश करेंगे कि वह अपने पहाड़ी व्यंजनों को अमेरिका के नवनिर्मित राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी इनका स्वाद चखायें।
पहाड़ी युवाओं को संगठित करने का प्रयास
मास्टर शेफ विकास कुरियाल और उनकी टीम के सदस्यों ने उत्तराखंड के युवाओं और होटल से जुड़े हुए उत्तराखंड के लोगों को एक साथ एक मंच पर लाने के लिए शेफ एसोसिएशन ऑफ गढ़वाल की स्थापना भी की है। जिसकी शुरुआत उन्होंने 2017 में कि इस संस्था का मकसद है कि होटल से जुड़े हुए उत्तराखंड के जितने भी युवा हैं वह एक मंच पर आएं और साथ मिलकर काम करें। चाहे वह किसी भी देश में रहे किसी भी राज्य में रहे लेकिन कहीं ना कहीं वह आपस में जुड़े रहे, अपनी संस्कृति के लिए काम करें और एकजुट होकर आगे बढ़े। मास्टर शेफ विकास कुरियाल कहते हैं कि उनके संगठन से जुड़े हुए युवाओं को वह देश विदेश के तमाम कार्यक्रमों और नई नई नोकरियों के बारे में जानकारी देते रहते हैं। शेफ एसोसिएशन ऑफ गढ़वाल से जुड़ने के लिए छात्रों को मात्र 1 हजार और काम कर रहे युवाओं के लिए 6500 की फीस एक बार भरनी होती है जिसके बाद आप उसके ताउम्र सदस्य बन जाते हैं और उनके ग्रुप में शामिल हो जाते हैं।
हर साल मास्टर शेफ ऑफ उत्तराखंड का आयोजन
सेफ एसोसिएशन ऑफ गढ़वाल हर साल मास्टर सेफ ऑफ उत्तराखंड का आयोजन भी करते हैं जिससे कि वह कोशिश करते हैं कि होटल इंडस्ट्री में कार्य कर रहे युवाओं को प्रोत्साहन मिलता रहे।
उत्तराखंड और अपनी संस्कृति के लिए हर वक्त हैं तैयार
उत्तराखंड के प्रति अपने प्यार और लगन को दर्शाते हुए मास्टर शेफ विकास कुरियाल बताते हैं कि भले ही बचपन मे उनका सपना डॉक्टर बनने का था जो कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते पूरा न हो सका लेकिन आज वह जिस प्रोफेशन में जिस मुक़ाम पर हैं उस से उन्हें काफी गर्व होता है।और वह अपनी संस्कृति से इतना प्यार करते हैं कि उसके लिए काम करने के लिए वह दिन-रात तैयार हैं। वह कहते हैं कि अपने पहाड़ी व्यंजनों को होटल के पकवानों में इंटरनेशनल स्तर पर पहचान दिलाने के लिए वह लगातार काम कर रहे हैं और करते रहेंगे। चाहे उसके लिए किसी भी लेवल पर जाना हो ।
पहाड़ के और अपने काम के प्रति मास्टर शेफ विकास कुरियाल की निष्ठा को देखकर वाकई गर्व होता है कि आज मास्टर शेफ विकास कुरियाल जिस ऊंचाई पर हैं वहां पर रहकर भी वह अपनी पहाड़ की संस्कृति से प्यार करते हैं और उसको आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।
पहाड़ों में मंडी बनाने का है सपना
विकास कुरियाल कहते हैं कि हमारे पहाड़ों में कई तरह की ऑर्गेनिक सब्जियां और दालें होती हैं। जो कि पहाड़ों से शहर की ओर आती हैं और लोगों इन्हें खरीदते हैं। लेकिन लोगों को यह पता नहीं होता है कि यह सब्जी कहां से आई है और कैसे उगाई जाती हैं। हमें कहीं ना कहीं इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है। वह कहते हैं कि भविष्य में उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में ऐसी मंडी बनानी चाहिए जहाँ लोग शहरों से पहाड़ों की तरफ जाएं वहां से ऑर्गेनिक सब्जी खरीद कर लायें। इससे किसानों को भी प्रोत्साहन मिलेगा और शहर में रह रहे लोगों को ही पता चलेगा कि ऑर्गेनिक सब्जी कैसे उगाई जाती है।
होटल इंडस्ट्री से जुड़े हुए इस युवा मास्टर शेफ को न्यूज़ उत्तराखंड की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं और भविष्य के लिए बहुत-बहुत बधाईयां। जो कि अपने ही आप में उत्तराखंड के साथ साथ होटल से जुड़े हुए तमाम लोगों के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।