- होटल का काम छोड़ अपने खेतों में शुरु की बागवानी
- दो साल में ही कर दिया, कायाकल्प। आज सेब, खुमानी, कीवी, अखरोट, नाशपाती, अनार व पुलम के लगा चुके हैं तीन हजार पौधे, इस वर्ष एक हजार पौधे और लगेंगे। पौधों के बीच में पैदा करते हैं जैविक सब्जियां।
- बागवानी विभाग सहित स्थानीय प्रगतिशील बागवानों से सीखते हैं बागवानी के गुर
- बस, दो-तीन वर्ष में ही होने लगेगी, लाखों की मासिक आय
- राजेश अब बागवानी के साथ साथ करेंगे कीमती औषधीय पौधों की खेती
नैनबाग, टेहरी गढ़वाल से विजेन्द्र रावत –
पहाड़ के हजारों युवाओं की तरह 30 वर्षीय राजेश सजवाण हाई स्कूल तक की पढ़ाई के बाद घर चलाने व जीविका की तलाश में घर छोड़कर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल केमटी फाल के एक होटल में काम करने लगा।
केमटी में आसपास के गांवों से सेब, आड़ू, खुमानी सहित कई प्रकार के फल बिकने आते थे, जिन्हें पर्यटक महंगें दामों पर खरीदते थे।
यह देख राजेश को अपने गांव के खेत याद आ गये जिनमें यह सब फल पैदा हो सकते थे। इस बारे में राजेश ने आसपास के बागवानों व बागवानी विभाग से जानकारी जुटाने का प्रयास किया। सभी ने राजेश का साहस बढ़ाया और उन्हें बताया कि मेहनत और आधुनिक तकनीक से बागवानी से अच्छी आय संभव है।
एक दिन राजेश, होटल का काम छोड़ केमटी फाल से करीब 50 किलोमीटर यमनोत्री मार्ग पर बसे नैनबाग से मात्र 16 किलोमीटर पर स्थित अपने मीरिया गांव लौट आये और अपनी बागवानी की योजना गांव वालों को बताई।
सभी ने राजेश को हतोत्साहित ही किया क्योंकि इससे पहले गांव में लगे सेब के तीन बाग फेल हो चुके थे। मगर विशेषज्ञों की राय थी कि गांव में अच्छी बागवानी हो सकती है।
बस, राजेश अपने परिवार के साथ बागवानी की मुहिम में जुट गये इसके लिए उसने क्षेत्र के प्रसिद्ध बागवान व नारायणी उद्यान के संस्थापक कुन्दन सिंह पंवार के पौधे व सलाह ली। मेहनत रंग लाई और पौधे शानदार ग्रोथ लेने लगे। फिर राजेश ने हिमाचल प्रदेश से विभिन्न किस्म के फलदार पौधे खरीदे।
उसकी मेहनत देख उसकी मदद के लिए बागवानी विभाग भी आगे आया और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया।
राजेश ने लोगों के साथ अपनी अधिक खेती देकर खेतों की अदला बदली कर अपने खेत एक ही जगह कर लिए, आज उसके पास विभिन्न किस्मों के तीन हजार फलदार पेड़ हैं और इस वर्ष एक हजार और उन्नत सेब के पौधों के रोपण की योजना पर काम चल रहा है।
आज ही राजेश, जौनसार बावर के बुल्हाड़ गांव में सेब के उन्नत बागवान व आयकर आयुक्त रतन सिंह रावत के बाग को देखने जा रहे हैं, जहां से वे बागवानी का कुछ ज्ञान लेंगे।
बागवानी के साथ साथ राजेश आफ सीजन वेजिटेबल और औषधीय पौधों की खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, इसके प्रयोग के तौर पर वे गमलों में औषधीय पौधे तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वे इसका गहन प्रशिक्षण लेने की योजना बना रहे हैं।
राजेश, जिस तरह अपने मिशन में आगे बढ़ रहे हैं, जल्दी ही वे अपने साथ साथ अपने बाग से कई अन्य परिवारों को भी रोजगार देने में सक्षम हो जाएंगे।