हल्द्वानी। कुमाऊं में महिलाएं कलक्टर बन सकती हैं। कप्तान की कमान संभाल सकती हैं। हवाई जहाज उड़ा सकती हैं। पुलिस से लेकर सेना में जौहर दिखा सकती हैं। लेकिन यहां महिला दरोगा थाना प्रभारी बनकर अपनी प्रतिभा का कमाल नहीं दिखा सकती हैं। यूं कहें कि मंडल में महिलाओं की थानेदारी नहीं चल सकती है।

यह हम नहीं, पुलिस विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं। कुमाऊं में दो थानों और एक चौकी में ही महिला दरोगा को प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। करीब 98 फीसदी थाने और चौकियों में पुरुष वर्ग का ही वर्चस्व है।

सरकारी कागजों में महिला सशक्तीकरण की बात बहुत होती है। शासन ने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत का आरक्षण घोषित कर रखा है। चुनाव से लेकर विभागीय भर्ती और योजनाओं में सरकार महिलाओं को आरक्षण देती है, लेकिन कुमाऊं में न तो एसएसपी स्तर से और न ही डीआईजी स्तर से ऐसी पहल हो रही है।

मंडल के 6 जिलों में 90 से अधिक महिला सब इंस्पेक्टर और 351 पुरुष सब इंस्पेक्टर हैं। लेकिन 98 फीसदी थानों में पुरुष थानेदार ही कमान संभाल रहे हैं। हद तो यह है कि चौकी इंचार्ज तक महिलाओं को नहीं बनाया गया है। थानों-चौकियों में सिर्फ पुरुषों को वरीयता दी जाती है।

नैनीताल जिले की कुछ महिला दरोगाओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने हीरानगर सहित कुछ हल्की चौकी उन्हें देने की मांग एसएसपी से की थी। लेकिन उन्हें चौकी नहीं मिली।

एक नजर में आंकड़े –

  • कुमाऊं में कुल थाने -74, चौकियां 94, जीआरपी थाना -एक
  • नैनीताल जिले में 15 थाने और 37 चौकियां हैं। यहां एक भी महिला कर्मी थाने-चौकियां में इंचार्ज नहीं है। सीओ के तौर पर लालकुआं में जरूर दीपशिखा अग्रवाल तैनात हैं। जिला प्रशासन के सर्वोच्च डीएम पद पर वंदना हैं। वहीं कालाढूंगी में एसडीएम रेखा कोहली हैं। नगर आयुक्त ऋचा सिंह हैं।
  • पिथौरागढ़ में 16 थाने और 14 पुलिस चौकियां हैं। झूलाघाट में थानाध्यक्ष आरती हैं। किसी चौकी पर कोई महिला दरोगा प्रभारी नहीं है। यहां महिला एसपी रेखा यादव हैं। प्रशासन में डीडीहाट में एसडीएम खुशबू पांडेय हैं।
  • अल्मोड़ा जिले में 12 थाने और 13 चौकियां हैं। अल्मोड़ा के महिला थाने में ही सिर्फ महिला थानाध्यक्ष जानकी डसीला हैं। एसडीएम के तौर पर भिकियासैंण में सीमा विश्वकर्मा हैं।
  • बागेश्वर में छह थाने और चार चौकियां हैं। यहां कोई भी महिला इंचार्ज नहीं है। प्रशासन में बागेश्वर सदर महिला एसडीएम मोनिका हैं।
  • ऊधमसिंह नगर जिले में 17 थाने और 52 चौकियां हैं। किसी की भी इंचार्ज महिला नहीं है। रुद्रपुर में सीओ सिटी निहारिका तोमर महिला जरूर हैं। प्रशासन में एससडीएम बाजपुर डॉ. अमृता शर्मा, गदरपुर एसडीएम आसिमा गोयल हैं।
  • चंपावत में आठ थाने में से किसी का प्रभारी महिला नहीं है। 11 चौकियों में से सिर्फ एक चंपावत चौकी पर ही राधिका भंडारी महिला के रूप में प्रभारी हैं। शहर की सीओ वंदना वर्मा हैं। जिला प्रशासन में तीन एसडीएम महिला हैं। इनमें से पाटी में नितेश डांगर हैं। लोहाघाट की एसडीएम रिंकू बिष्ट पर बाराकोट और चंपावत का भी प्रभार है। चंपावत में मोनिका की तैनाती हुई है, मगर उन्होंने अभी ज्वाइन नहीं किया है।

थानाध्यक्ष के पद के लिए कई फैक्टर काम करते हैं। उपलब्धता और योग्यता के आधार पर महिलाओं को प्राथमिकता देते हैं। कई बार महिला दरोगा इंचार्ज बनने की इच्छुक नहीं होती हैं।
-डॉ.योगेंद्र सिंह रावत, डीआईजी कुमाऊं


महिलाओं को थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज का पद मिलना चाहिए। जब मैं डीजीपी था, तो मैंने इसके लिए आदेश भी किए थे। उस आदेश में कहा गया था कि एक जिले में एक महिला थानाध्यक्ष अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।

-अशोक कुमार, पूर्व डीजीपी


महिला अधिकारियों को एसपी और सीओ की जिम्मेदारी दी जा रही है, वे अच्छा कार्यप्रदर्शन भी दिखा रही है। महिला दरोगा को थाने और चौकियों का प्रभार दिया जाएगा, तभी उनकी काबिलियत का पता चल पाएगा।

-गणेश सिंह मरतोलिया, पूर्व आईजी एवं यूकेएसएससी के अध्यक्ष

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