देहरादून। प्रतिकारात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) में क्षतिपूरक वनीकरण के मिली राशि से मनमाने खर्चे किए गए। इस राशि से आईफोन, लैपटाप, फ्रिज-कूलर से लेकर अन्य अस्वीकार्य क्रियाकलापों में खर्च किए गए। यह बात कैग की रिपोर्ट में सामने आई है। कैंपा की राशि हरियाली करने के लिए जारी होती है। इस राशि से किए जाने वाले काम तय हैं। कैग ने राज्य में वर्ष 2019-20 से 2021-23 के दौरान कैंपा के तहत हुए कार्याें का मूल्यांकन किया है।

इसमें कई अनियमितताओं की बात सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रभाग स्तर से 13.86 करोड़ की धनराशि मनमाने तरीके से अस्वीकार्य कामों में खर्च किए गए। राज्य योजना हरेला, टाइगर सफारी कार्य से लेकर राशि से व्यक्तिगत यात्राओं में व्यय किया गया। इसके अलावा न्यायालय के वाद प्रकरणों, आई फोन लैपटॉप, फ्रिज, कूलर, स्टेशनरी आदि की खरीद में व्यय किया गया। एकीकृत वन चौकियों के लिए वन प्रभागों से कोई मांग नहीं की गई थी, पर इन चौकियों के निर्माण के लिए 27.09 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।

रिपोर्ट में बताया कि राज्य सरकार ने बताया कि सभी गतिविधियां अनुमोदित वार्षिक कार्ययोजना के अनुसार की गईं, जो स्वीकार्य नहीं है। कालागढ़ टाइगर रिजर्व, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और लैंसडौन के प्रकरण में राज्य सरकार ने स्वयं कोई उत्तर नहीं दिया (जुलाई-2023) है और कालागढ़ टाइगर रिजर्व और लैंसडौन प्रभागों के उत्तर को का संलग्न किया है। डीएफओ कालागढ़ ने बताया कि काम तत्कालीन डीएफओ के निर्देशानुसार किए गए। जबकि लैंसडाउन वन प्रभाग डीएफओ ने बताया कि वनाग्नि के विरुद्ध सावधानीपूर्ण उपायों के साथ किए गए।

ऐसा नहीं है कि कैंपा की राशि से गड़बड़ी की यह बात पहली बार हो। पहले भी यह बात सामने आ चुकी है। कैग ने वर्ष 2006 से 2012 अवधि का मूल्यांकन किया था। उसमें एनपीवी क्षतिपूरक वनीकरण की कम वसूली प्रकरण सामने आया था। इसमें 212.28 करोड़ की कम वसूली की गई। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्लैटिनम जुबली समारोह पर कैंपा निधि से 35 लाख रुपये व्यय किए गए, जिसे वर्ष-2011-12 की वार्षिक कार्ययोजना में अनुमोदित नहीं किया गया था। इसके अलावा अन्य अनियमितता की बात सामने आई थी।


संबंधित प्रकरण मेरे से पहले के समय का है। इस मामले की जांच कराई जाएगी। – सुबोध उनियाल, वन मंत्री

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