उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के उच्च स्तरीय क्षेत्र में बसा है। एक सुंदर सा गांव चिरबटिया। जहां पहुँच के लगता है कि आपके प्राकृतिक नजारों को ढूंढने की खोज पूरी हो गयी हो। चिरबटिया समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊँचाई पर बस है। चारों तरफ से बड़े-बड़े पर्वतों और हरियाली की गोद में बसा चिरबटिया गांव उत्तराखंड राज्य बन जाने के 20 सालों बाद भी आज तक विकास की राह देख रहा है। इन 20 सालों में रुद्रप्रयाग जिले में कई विधायक आए गए लेकिन चिरबटिया गाँव की सुध किसी ने नहीं ली।

सिर्फ नाम का कृषि विश्वविद्यालय

आपको बता दें कि चिरबटिया केदारनाथ यात्रा ओर चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ावों में से एक है। इसी स्थान पर टिहरी गढ़वाल की सीमा समाप्त हो जाती है और यहीं से रुद्रप्रयाग जिले की सीमा शुरू हो जाती है, यानी कि यह टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले का सीमावर्ती गांव है। यूं तो यहां पर स्थानीय नेताओं और अधिकारियों द्वारा विकास के लिए कुछ ज्यादा कार्य नहीं किया गया, लेकिन खानापूर्ति के तौर पर यहां मात्र अभी तक एक कृषि विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ गया है जो कि सिर्फ नाम तक का ही कृषि विद्यालय रह गया है। छात्रों और कृषि के नाम आपको यहाँ सिर्फ खण्डर कृषि भवन और शांत वातावरण ही नजर आयेगा।

देश की सेवा में समर्पित

रुद्रप्रयाग जिले का यह गाँव उत्तराखंड के उन चंद गाँवों में शामिल है जहाँ से सबसे ज्यादा युवा भारतीय सेना में शामिल हैं। आज इस गांव के लगभग 60 से ज्यादा लोग सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिनमें से कई सैनिक अधिकारी लेवल तक के भी हैं। लेकिन विकास की नाम नाम पर यह चिरबटिया गांव आज तक यूं ही अलग-थलग पड़ा है।

प्रथम युद्ध से जुड़ा हुआ इतिहास

चिरबटिया के लुठीयागांव के सैनिकों का इतिहास प्रथम युद्ध से भी जुड़ा हुआ है इसी गांव के दो भाई शहीद मुरारी सिंह व देव सिंह प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। वहीं इसी गांव के और 2 सैनिक दिल सिंह और उमराव सिंह भी आजाद हिंद फौज का हिस्सा रह चुके हैं।

सिर्फ़ कागजी वादे

साल 2018 में चिरबटिया वासियों में तब खुशी की लहर दौड़ उठी थी जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 13 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशनों में चिरबटिया के नाम को भी शामिल किया था।सरकार ने उस समय दावा किया था कि चिरबटिया को अब एक नए एडवेंचर हब के रूप में जाना जायेगा और यह सैलानियों की पहली पसंद बनेगा।साथ ही सरकार ने रेई झील के संरक्षण, वन संरक्षण और जल संरक्षण के साथ साथ किसानों को बहेतर फसल ओर उत्पादन मूल्य की भी घोषणा की थी जो कि आज तक सिर्फ एक कागजी वादा ही रह ओर सरकार की चुनावी फाइलों में कहीं सिमट कर रहा गया। हालांकि उस समय प्रारंभिक कार्यों के लिए सरकार ने यहाँ के लिए 60 लाख रुपए की धन राशी भी स्वीकृत की थी लेकिन धरातल पर उस राशी का कार्य कहीं भी देखने को नहीं मिला।

झूठे वादों में,विकास का सपना

13 नये डेस्टिनेशनों में शामिल होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि अब जल्द ही चिरबटिया में विकास शुरू होगा और इस खूबसूरत से गांव को एक नई पहचान और नया आयाम मिलेगा, लेकिन गांव वासियों का वह सपना बस सपना ही रहा।

पहल हिमालया का बहेतरीन प्रयास

पिछले चार-पांच सालों में पहल हिमालया ने रिलायंस फाउंडेशन के साथ मिलकर जरूर इस गांव के विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिनमें यहां की कृषि को बेहतर बनाना, गांव की महिलाओं को सशक्त बनाना,गाँव को युवाओं को गांव में ही स्वरोजगार प्रदान करना,फलों और फूलों की क्यारियां बनाना, जल स्रोतों का सही संरक्षण करवाना और जंगली जानवरों से खेतों को बचाने के लिए घेरबाढ़ करवाना जैसे कई काम शामिल हैं। आज पहल हिमालया ओर रिलायंस फाउंडेशन के कार्यों को देखकर गांव के लोग और आसपास के इलाके भी विकास की राह पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। पहल के इन कार्यों को देख कर गांव के युवाओं और महिलाओं में भी काफी उत्साह रहता है।वह भी पहल हिमालया की हर मुहिम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, और अपने गांव की समृद्धि और विकास में भागीदार बनते हैं।

बस नाम का गढ़वाल मंडल निगम विकास भवन

सरकार द्वारा चिरबटिया को गढ़वाल मंडल निगम विकास भवन के जरिए विकास की नई पहचान दिलाने की कोशिश जरूर की गई थी पर वह भी खोखली ही साबित हुई। सरकार ने यहाँ के लिये कागजों पर कई बड़े वादे किए, लेकिन उन वादों में से कुछ ही वादे धरातल पर उतर सके,और जो कुछ वादे धरातल पर उतरे भी तो वह आज खंडहर हो चुके हैं। इन्हीं खण्डरों में से एक है चिरबटिया में स्थित गढ़वाल मंडल निगम का होटल जो आज गाय भैंसों के रहने का स्थान बन चुका है। सेलानियों के लिए बनाया गया यह होटल अब गोशालाबन चुका है। गढ़वाल मंडल भवन बन जाने के बाद ना तो गढ़वाल मंडल ने इस ओर ध्यान दिया और ना ही यहां के स्थानीय नेताओं और विधायकों ने। जिसके फलस्वरूप यह भवन आज इस जर्जर हालत में है और अब कुछ ही सालों में टूटने की कगार पर खड़ा है।

बंद हुआ आईटीआई

कुछ सालों पहले तक चिरबटिया और उसके आसपास के इलाकों में रहने वाले छात्रों के पास यहाँ पर अपना एक आईटीआई हुआ करता था। जो की यहाँ ओर आस पास के छात्रों के पास बारहवीं पास करने के बाद एक बहतरीन विकल्प हुआ करता था लेकिनसरकार की मेहरबानी से अब यहाँ से हटा दिया गया है।

बन सकता है एक बेहतरीन टूरिस्ट प्लेस

जिस तरह से चिरबटिया की खूबसूरती है और जैसे यह चारों ओर से हरियाली और प्रकृति के बीच में बसा है उसको देखकर वाकई लगता है कि अगर सरकार यहां के विकास पर ध्यान दें और यहां पर कुछ औद्योगिक केंद्रों के साथ-साथ इसे एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करे तो यह एक बेहतरीन टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सकता है।

आस-पास हैं कई ट्रैक

चिरबटिया के आसपास इलाकों में कई ट्रैक भी हैं जिन्हें भविष्य में सैलानियों के लिए सँवारा जा सकता है। इनमें सबसे नजदीक रेई ट्रैक जो की एक दर्शनीय स्थल साबित हो सकता है, साथ ही यहां से पटांगणियाँ ट्रैक, कुण्ड सोड़ ट्रैक भी नजदीकी पर स्थित हैं। यहां से पाँवली बुग्याल की दूरी भी लगभग 30-35 किलोमीटर है।

विकास की राह

अब देखना ये होगा कि 13 एडवेंचर डेस्टिनेशनों में शामिल हुआ चिरबटिया के विकास का सपना कब पूरा होता है, या कहीं उसका यह सपना भी सरकारों की अदला बदली के बीच झूठे वादों में ही सिमट के रह जाता है।

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