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जेल जाने के बाद बेल का इंतजार कर रहा विक्रम, कुछ दांत झड़ चुके…फिर भी ताकत ऐसी देखकर रह जाएंगे दंग

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नैनीताल। पांच साल पहले ढिकाला जोन में तीन बीट वाचरों की हत्या (शिकार) करने के आरोप में विक्रम जेल (रेस्क्यू सेंटर) भेजा गया था। तब से वह बेल (खुले जंगल की आजादी) का इंतजार कर रहा है। बाधा उसकी उम्र ही है। बीस साल के हो चुके विक्रम के कई दांत झड़ चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विक्रम अभी कई और साल जीवित रहेगा। मगर अधिक उम्र के कारण उसकी रिहाई संभव नहीं है। वह अब इस आयु में दूसरे वन्यजीवों का शिकार नहीं कर पाएगा। साथ ही खुले जंगल में छोड़ने पर दूसरे बाघ विक्रम का शिकार कर लेंगे।

अपनी दीर्घायु से चर्चा के केंद्र में रहने वाले विक्रम ने 15 साल की उम्र में कत्ल किए थे। तब उसे गिरफ्तार (ट्रैंक्यूलाइज) कर पहले नैनीताल के चिड़ियाघर में कैद किया गया। नैनीताल के चिड़ियाघर में छह माह रहने के दौरान एक दो बार उसका हमलावर व्यवहार देखकर उसे शिफ्ट करने की योजना बनी। तभी वर्ष 2020 में ढेला रेस्क्यू सेंटर बनकर तैयार हो गया, तो उसे छह महीने बाद ही ढेला रेस्क्यू सेंटर (जेल) भेज दिया गया था। वहीं उसे विक्रम नाम दिया गया। तब से उसके भोजन की व्यवस्था पार्क प्रशासन करता आ रहा है। ढेला रेस्क्यू सेंटर में विक्रम के साथ आठ और बाघ हैं। विक्रम ही सबसे बुजुर्ग बाघ है। बूढ़ा होने की वजह से उसके बचे दांत भी घिस चुके है, लेकिन बलिष्ठता बरकरार है।

वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिमवाल बताते हैं कि देश के किसी भी चिड़ियाघर में बाघ की सर्वाधिक उम्र 18 ही उनकी जानकारी में है। जंगल में सामान्य रहन-सहन के मुकाबले चिड़ियाघर में इनका जीवन इसलिए ज्यादा हो जाता है क्योंकि अच्छी देखभाल हो पाती है। वरना आमतौर पर इनकी उम्र 12 से 15 वर्ष होती है। विक्रम की उम्र का आकलन वार्षिक कैलेंडर की शुरुआत और अंत के साथ होता है। कॉर्बेट पार्क के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा ने विक्रम के बढि़या स्वास्थ्य को देखते हुए उसका जीवन अभी और ज्यादा होने की संभावना बताई है।

विक्रम को उसका यह नाम उसके विशालकाय होने की वजह से दिया गया। उसे 600 वर्ग मीटर के बाड़े में मेहमान के तौर पर रखा गया है। इस बाड़े में वाटर पूल है, जिसमें वह अक्सर मस्ती करता है। उसकी हर गतिविधि के साथ ही स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। मीट के टुकड़ों के साथ ही उसे गर्मियों के मौसम में सपलीमेंट (पोषक तत्व वाले तरल पदार्थ) दिए जाते है। वहीं जाड़ों में भी विटामिन और मिनरल पर ध्यान दिया जाता है। यही नहीं, स्वास्थ्य परीक्षण के लिए संबंधित नमूने जांच के लिए बरेली के आईवीआरआई (भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान) भेजे जाते हैं।


2019 में नवंबर में ढिकाला ग्रासलैंड में हाथी की ऊंचाई तक घास थी। तब वहां तीन-चार बाघ थे। ऐसे में हत्यारे विक्रम को चिह्नित करना चुनौतीपूर्ण था। उसके विशालकाय होने से ही उसकी पहचान हो सकी और ट्रैंक्यूलाइज कर उसे रेस्क्यू कर लिया गया।

-डॉ. दुष्यंत शर्मा, वरिष्ठ पशु चिकित्सक


ढेला रेस्क्यू सेंटर में रखे गए बाघों को बेहतर तरीके से रखरखाव किया जाता है। समय-समय पर उनकी जांचे होती हैं। बाघ विक्रम पूरी तरह से स्वस्थ है, उसका पूरा ध्यान दिया जाता रहा है।

– डॉ. साकेत बडोला, निदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व

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