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निर्देशों के बावजूद ऋण बांटने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कंजूस, प्राइवेट बैंकों से पिछड़े

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देहरादून। शासन के बार-बार निर्देशों के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक विभिन्न सरकारी योजनाओं में ऋण वितरण के मामले में कंजूसी बरत रहे हैं। नतीजा यह है कि कई जिलों में राष्ट्रीयकृत बैंकों का ऋण जमा अनुपात (सीडी रेशो) प्राइवेट बैंक से काफी पीछे है। यह खुलासा मंगलवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की समीक्षा बैठक में हुआ। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने सीडी रेशो कम होने पर असंतोष जाहिर किया और इसमें सुधार लाने के लिए सूक्ष्म स्तर पर योजना बनाने और इसकी गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए। राज्य सचिवालय में हुई बैठक में उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों को निर्देश दिए कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और स्वरोजगारपरक गतिविधियों को ऋण देना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखें।

उन्होंने कहा कि इन दोनों सेक्टर में ऋण वितरण की दर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन निजी क्षेत्र के बैंकों के मुकाबले बहुत ही असंतोषजनक है। उन्होंने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक सेक्टर के बैंकों का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका को समृद्ध करने के लिए अधिक से अधिक ऋण देने का है। उन्होंने सभी बैंकर्स को निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों से बेहतर समन्वय स्थापित कर लाभार्थियों को चिह्नित करें और उन्हें लाभ देने के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। साथ ही तय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सख्ती से निगरानी भी की जाए। बैठक में बताया गया कि केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय राष्ट्रव्यापी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) अभियान 15 सितंबर 2024 से 31 मार्च 2025 तक चलेगा।

इस अभियान के तहत उत्तराखंड राज्य को 5000 केसीसी खाता खोलने का लक्ष्य दिए हैं। बैंकों से अपेक्षा की गई है कि इस अभियान में अधिकतम ऋण प्रदान किया जाए। कहा गया कि ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 में चिन्हित निवेशकों को वित्त पोषित करके विभिन्न औद्योगिक इकाइयों को बैंक ऋण सुविधा प्रदान कर राज्य का ऋण जमा अनुपात बढ़ाया जा सकता है। कृषि एवं एमएसएमई क्षेत्र में छोटे ऋणों पर भी फोकस कर ऋण बांटने के निर्देश दिए गए। बैठक में आरबीआई के एजीएम धीरज कुमार अरोड़ा, एसएलबीसी के एजीएम राजीव पंत, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक शोभना सिंह, संयुक्त निदेशक पर्यटन एसएस सामंत समेत संबंधित बैंकर्स और अधिकारी उपस्थित थे।

  • 53.26 फीसदी था जुलाई से सितंबर का समग्र ऋण जमा अनुपात
  • 54 फीसदी रहा पिछली तिमाही में ऋण जमा अनुपात
  • 84.57 प्रतिशत रहा निजी क्षेत्र के बैंकों का सीडी रेशो
  • 42.33 से आगे नहीं बढ़ सका सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सीडी रेशो

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