उत्तरकाशी। माणा हिमस्खलन के दौरान घायल हुए उत्तरकाशी के मनोज भंडारी उस दिन की दास्तां बताते हुए आज भी कांप जाते हैं। वह जब बर्फ के बवंडर से बचकर जहां आसरा पाने पहुंचे, वहां भी दोनों तरफ बर्फ की दीवारों में फंस गए। उनके सामने ही एक साथी ने तड़प कर दम तोड़ दिया और उनको बर्फ खाकर भूख-प्यास शांत करनी पड़ी। उत्तरकाशी के जुणगा गांव निवासी मनोज का हिमस्खलन हादसे के दिन तीन बार मौत से सामना हुआ।

भंडारी ने बताया कि माणा में मजदूरों के रहने के लिए 9 कंटेनर थे, जिसमें से पांच कंटेनर में लोग मौजूद थे। हिमस्खलन इतनी तेजी से आया कि उन्हें पता ही नहीं लगा कि वह कंटेनर सहित करीब एक सड़क पार कर नीचे गिर गए। थोड़ा ओर दूरी होती तो वह सीधा नदी में समा जाते। उसके बाद हालात कुछ सामान्य हुए तो कुछ लोग लोडरों के माध्यम से बदरीनाथ के लिए निकल गए। तो वहीं वह और उनके साथ 13 लोग पैदल ही आगे बढ़े।

उन्होंने बताया कि करीब 300 मीटर दूरी पर एक आर्मी गेस्ट हाउस था, जो बंद था। वह लोग उसका ताला तोड़कर सुरक्षा के लिए अंदर घुसे। वह भी आधी बेहोशी की हालत में थे। जो साथी कम घायल थे, वह जैसे ही अन्य लोगों से संपर्क करने के लिए बाहर निकले। तो गेस्ट हाउस के दोनों ओर स्थित गदेरों में भी भारी हिमस्खलन हो गया। जिससे सभी रात भर वहां फंसे रहे। इसी दौरान हिमाचल निवासी एक साथी ने उपचार नहीं मिलने की वजह से दम तोड़ दिया, यह देख हम सभी घबरा गए, फिर एक-दूसरे को हौसला देकर पूरी रात गुजारी।

भंडारी ने बताया कि वहां न कुछ खाने के लिए था और न पीने के लिए पानी। तो भूख और प्यास से सबका गला और होंठ सूख रहे थे। ऐसे में सभी लोगों ने पूरी रात बर्फ खाकर किसी प्रकार जीवन बचाया। अगले दिन सेना ने बर्फ हटाकर उन्हें रेस्क्यू किया था।

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