चंडीगढ़। भारत में साइबर ठगी का जाल तेजी से बढ़ रहा है। साल दर साल पांच गुना तेजी से साइबर अपराध में वृद्धि दर्ज हो रही है। कई मामलों में बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। साइबर ठगी की रकम वापस कराने में केंद्र सरकार से पहले नंबर का तमगा पा चुकी हरियाणा साइबर पुलिस ने बीते डेढ़ साल में ऐसे दो दर्जन से अधिक बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इनमें सरकारी और निजी दोनों बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं। विभिन्न बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की गिरफ्तारी के बाद जांच में कई तथ्य सामने आए हैं।

हरियाणा पुलिस के अनुसार, कमीशन के आधार पर बैंक में काम करने वाले कर्मचारी कई बार भोले-भाले लोगों के खातों का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा फर्जी दस्तावेज से ठगों का खाता खुलावाते हैं, ट्रांजेक्शन सीमा को अनदेखा कर पैसा ट्रांसफर कराते हैं और वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं व बड़ी रकम खातों में रखने वालों की जानकारी ठग गिरोह तक पहुंचाते हैं। कई बार वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) भी हासिल करने में बैंक अधिकारी व कर्मचारी जालसाजों की मदद करते हैं।

दिसंबर 2024 में हरियाणा साइबर पुलिस ने एक व्यक्ति की शिकायत पर गुरुग्राम के डीबीएस बैंक डीएलएफ फेज-2 के बैंक रिलेशन मैनेजर टीपू सुल्तान को साइबर ठगों के सहयोगी होने पर गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता ने बताया कि खाता बंद कराने का आवेदन देने पर टीपू ने कहा कि काम हो जाएगा। कुछ दिन बाद उसके मोबाइल नंबर पर उसके बैंक खाते में 15,000 रुपये क्रेडिट होने का मैसेज मिला। टीपू ने खाते से उसका मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी बदलकर दूसरा मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी डाल दी। इस खाते का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए होने लगा।

गुरुग्राम में मानेसर साइबर पुलिस ने 26 फरवरी 2024 को कोटेक महिंद्रा बैंक की एमजी रोड शाखा के कारपोरेट कार्यालय में काम करने वाले असिस्टेंट मैनेजर मोहित राठी और दो डिप्टी मैनेजर महेश और विश्वकर्मा मौर्या को गिरफ्तार किया था। ये तीनों मेवात के साइबर ठगों को फर्जी दस्तावेज से खोले गए बैंक खाते उपलब्ध कराते थे। इनका गठजोड़ आठ महीने से भी पुराना था। इन्होंने दो हजार से ज्यादा बैंक खाते खोले थे। एक खाते के बदले इन्हें 20 से 25 हजार दिए जाते थे।

सितंबर 2024 में हरियाणा के गुरुग्राम में साइबर पुलिस ने स्टॉक मार्केट में निवेश के नाम पर पर ठगी करने वाले गिरोह के सदस्यों के साथ आईसीआईसीआई बैंक के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। आरोपी आकाशदीप व हरप्रीत ने देवेंद्र का बैंक खाता खुलवाकर साइबर ठगों को बेच दिया था। आकाशदीप आईसीआईसीआई बैंक में 2022 से तैनात था और फिलहाल डिप्टी मैनेजर के पद पर था।

चंडीगढ़ प्रशासन के साइबर एक्सपर्ट राजेश राणा के मुताबिक, बैंक में तैनात किसी व्यक्ति की मदद के बिना साइबर ठगी की वारदात को लगातार अंजाम देना संभव ही नहीं है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गाइडलाइन में एक खाते में कितने पैसे का ट्रांसजेक्शन होगा, खाते का सत्यापन, पैसे ट्रांसफर करने की सीमा सहित अन्य नीतियां लागू हैं। यदि इसके खिलाफ गतिविधियां होती हैं तो मामला गड़बड़ होता है। इसके लिए साइबर ठग गिरोह के मददगार कुछ बैंक अधिकारी व कर्मचारी ही देशव्यापी समस्या उभरकर आए हैं। इनमें ज्यादातर निजी बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी हैं।


साइबर ठगी के मामलों में विभिन्न बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका मिलने पर गिरफ्तारी हुई है। इन बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों की ठगी में भूमिका भी अलग-अलग तरह की मिलती है। -अमित दहिया, एसपी साइबर पुलिस, हरियाणा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here