देहरादून। प्रदेश में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है। चयनित मोटे अनाज के बीज और उर्वरक किसानों को 80 फीसदी अनुदान पर मिलेगा। वहीं, इसकी बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को 1500 से लेकर 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर धनराशि दी जाएगी। धामी कैबिनेट में उत्तराखंड राज्य मोटे अनाज की नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

कैबिनेट में आए प्रस्ताव के मुताबिक मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी, चीना आदि की खेती को प्रोत्साहित करने, उत्पादन और किसानों की आय में वृद्धि के लिए राज्य मोटे अनाज की नीति के प्रस्ताव को पास किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि इसका उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जो मोटे अनाज के उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचा सके और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उत्तराखंड के मोटे अनाज को स्थापित कर सके। इससे राज्य में मोटे अनाज का घटता क्षेत्रफल रुकेगा।

राज्य मोटे अनाज की नीति के तहत दो चरणों में काम होगा। पहले चरण में वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक चयनित 24 विकासखंडों में 30000 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर एवं दूसरे चरण में वर्ष 2028-29 से 2030-31 तक 44 विकासखंडों में 40000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में खेती की जाएगी। नीति के तहत 134.893 करोड़ की कार्ययोजना का संचालन किया जाएगा। किसानों को चयनित मोटे अनाज की फसलों के बीज एवं जैव उर्वरक, जैव कीटनाशक, जिंक, सूक्ष्म पोषक तत्व को 80 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाएगा। साथ ही किसानों को मोटे अनाज की बुवाई करने पर प्रोत्साहन धनराशि दी जाएगी, पहले वर्ष पंक्ति बुवाई पर 4000 प्रति हैक्टेयर, द्वितीय वर्ष में 3000 प्रति हैक्टेयर एवं तृतीय वर्ष में 1500 प्रति हैक्टेयर धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।

मोटे अनाज के लिए समूह को 150 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान किया जाएगा। समूह पर अंतःग्रहण के लिए एकत्रित मोटे अनाज की फसलों को सहकारिता विभाग के क्रय केंद्र पर लाने के लिए ढुलान के रूप में अधिकतम 75 रुपये प्रति क्विंटल की प्रतिपूर्ति की जाएगी। मोटे अनाज की नीति के तहत ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए दो किसानों व समूहों को 10 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

मोने अनाज की फसलों के संवर्धन एवं प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में न्यूट्री हब की एक परियोजना प्रबंधन इकाई स्थापित की जाएगी। श्री अन्न पार्क की स्थापना के लिए निजी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। मंडुवा फसल की तरह राज्य स्तर से हर साल सांवा फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाएगा। हर ब्लॉक में एक मोटे अनाज के प्रसंस्करण के लिए प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी।

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