शारदीय नवरात्रि की महापर्व नवमी तिथि को मां दुर्गा के आखिरी सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा के साथ समाप्त होता है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन के साथ मां की विदाई होती है। इस साल अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है। लोगों के मन में कंफ्यूजन है कि अष्टमी और नवमी तिथि 11 अक्तूबर को मनाई जाएगी या फिर 12 अक्तूबर को। तो आइए जानते हैं नवमी तिथि कब है, इसका शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में…

बता दें कि आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरूआत 10 अक्तूबर को चुकी है, जोकि 11 अक्तूबर को दोपहर 12:07 मिनट तक रहेगी। वहीं 11 अक्तूबर को सुबह 12:08 मिनट से नवमी तिथि शुरू हो रही है, जोकि अगले दिन यानी की 12 अक्तूबर को सुबह 10:59 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से नवमी तिथि 11 अक्तूबर को मनाई जा रही है।

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और फिर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करें। अब मां दुर्गा को पुष्प चढ़ाकर उनका आह्वान करें और मां की पूजा में लाल फूल, चंदन, अक्षत, फल और मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद मां दुर्गा के मंत्र और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद मां दुर्गा की आरती कर प्रसाद वितरित करें।

मंत्र

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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