मुंबई। ष्कर्म के मामले में एक सरकारी कर्मचारी को लिव इन रिलेशनशिप समझौते ने जमानत दिलाई। समझौते के तहत की गईं सात शर्तों ने व्यक्ति को बड़ी राहत दी। सरकारी कर्मी के खिलाफ एक महिला ने दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था।
महिला की ओर से मामला दर्ज कराए जाने के बाद गिरफ्तारी से पहले जमानत पाने के लिए व्यक्ति ने कोर्ट में लिव इन रिलेशनशिप समझौता पेश किया। इसमें जिक्र किया गया था कि वे लिव इन में रहने के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज नहीं कराएंगे। मामले में कोर्ट ने व्यक्ति को जमानत दे दी। वहीं मुकदमा दर्ज कराने वाली महिला ने ऐसे किसी भी समझौते से इन्कार किया है।
पुलिस के मुताबिक महिला बुजुर्गों की देखभाल करती है। जबकि आरोपी सरकारी कर्मचारी है। महिला ने आरोप लगाया था कि साथी ने उससे शादी करने का वादा किया और साथ रहने के दौरान कई बार उससे दुष्कर्म किया। आरोपी व्यक्ति के वकील ने इसे धोखाधड़ी बताया।
आरोपी के वकील सुनील पांडे ने कोर्ट को बताया कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है। वे लिव इन रिलेशनशिप में थे। इसके समझौते के मुताबिक दोनों एक रिश्ते में रहने के लिए सहमत थे। समझौते पर दोनों ने हस्ताक्षर भी किए थे। पुलिस अब इस रिश्ते की पुष्टि का प्रयास कर रही है।
समझौते में यह थीं सात शर्तें
- सात सूत्रीय समझौते में पहली शर्त थी कि दोनों एक अगस्त 2024 से 30 जून 2025 तक साथ रहेंगे।
- दूसरी शर्त थी कि इस अवधि में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ यौन उत्पीड़न का कोई मामला दर्ज नहीं कराएंगे। शांतिपूर्ण तरीके से अपना समय बिताएंगे।
- तीसरी शर्त थी कि महिला पुरुष के साथ उसके घर पर रहेगी। अगर उसे पुरुष का व्यवहार ठीक नहीं लगेगा तो वह एक महीने का नोटिस देकर किसी भी समय अलग हो सकती है।
- चौथी शर्त में कहा गया कि जब तक महिला पुरुष के साथ रहेगी, तब तक पुरुष के रिश्तेदार उसके घर नहीं आ सकते।
- पांचवीं शर्त में जिक्र किया गया कि महिला पुरुष का किसी तरह का मानसिक और शारीरिक शोषण नहीं करेगी।
- छठवीं शर्त रखी गई थी कि अगर महिला इस दौरान गर्भवती हो जाती है तो पुरुष उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
- सातवीं शर्त में कहा गया कि यदि किसी उत्पीड़न से पुरुष मानसिक रूप से प्रभावित होता है तो महिला इसकी जिम्मेदार होगी।