देहरादून। विश्व में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रदेश सरकार ने अनुमति दे दी है। इस संबंध में सचिव धर्मस्व हरिचंद्र सेमवाल ने बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को पत्र जारी किया। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की (सीबीआरआई) की देखरेख में मंदिर के संरक्षण कार्य किए जाएंगे। बदरीनाथ केदारनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण कार्य के लिए अनुमति देने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह सिंह धामी का आभार जताया है।

उन्होंने गत वर्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के महानिदेशक को पत्र लिखकर समुद्र तल से 11,942 फीट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण व सुरक्षात्मक कार्यों को कराने के लिए तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। इस पर दोनों विभागों के विशेषज्ञों ने मंदिर का अध्ययन कर रिपोर्ट बीकेटीसी को सौंपी थी। रिपोर्ट के बाद बीकेटीसी ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से भी इस संबंध में राय मांगी है।

सीबीआरआई के वैज्ञानिक पिछले दिनों तुंगनाथ का भ्रमण कर चुके हैं। उनकी रिपोर्ट भी जल्दी ही बीकेटीसी को मिल जाएगी। इस बीच बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र ने शासन को एएसआई व जीएसआई की रिपोर्ट का हवाला देते तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण कार्यों के लिए सहमति देने का आग्रह किया था। इस पर सचिव धर्मस्व व संस्कृति हरिचंद्र सेमवाल ने बीकेटीसी को पत्र लिखकर इसकी अनुमति प्रदान कर दी है।

शासन ने मंदिर की पौराणिकता को देखते हुए इसकी विस्तृत योजना रिपोर्ट (डीपीआर) और संपूर्ण कार्य सीबीआरआई रुड़की के माध्यम से कराने के निर्देश दिए हैं। शासन ने यह भी निर्देश दिए कि संपूर्ण कार्य एएसआई और जीएसआई के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए किए जाएंगे।

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