देहरादून। साइबर हमले से बचाव के लिए राज्य सरकार बेशक साइबर सिक्योरिटी टास्क फोर्स बनाने जा रही है, लेकिन पिछले चार दिनों में इस तकनीकी संकट ने सरकार के तकरीबन सभी विभागों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं। सबसे ज्यादा प्रभाव राज्य की वित्तीय व्यवस्था पर पड़ा है। हमले के दिन से ही राज्य के कोषागारों में कामकाज पूरी तरह से ठप है। राज्य के कोषागार से प्रतिदिन औसतन 180 से 200 करोड़ तक के बिलों का भुगतान होता है। इस हिसाब से पिछले तीन दिनों में 540 करोड़ रुपये से अधिक के बिलों का भुगतान लटकने का अनुमान है।
एहतियातन एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) की सभी सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं। सचिव वित्त दिलीप जावलकर के मुताबिक, स्टेट डाटा सेंटर से हरी झंडी का इंतजार है। जैसे ही वहां से सकारात्मक संकेत मिलेंगे, आईएफएमएस की सेवाएं शुरू कर दी जाएंगी। हालांकि, सचिव वित्त फिलहाल किसी भी वित्तीय नुकसान से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों का मानना है कि स्थितियां सामान्य होने के बाद ही पता चल पाएगा कि वास्तव में कितना और क्या नुकसान हुआ। बता दें कि आईएफएमएस वित्त विभाग का एक महत्वपूर्ण पोर्टल है, जिससे कर्मचारियों के वेतन और अन्य सेवाओं का संचालन होता है।
तकनीकी संकट गहराने से पिछले चार दिन से राज्यकर्मियों और पेंशनरों को किसी भी तरह की एसएमएस सेवा प्राप्त नहीं हो रही है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, बिलों, रायल्टी, करों, जीएसटी व अन्य से प्रतिदिन प्राप्त होने वाला राजस्व भी अभी कोषागारों में नहीं पहुंच पा रहा है। लेनदेन की यह व्यवस्था तब तक ठप रहेगी, जब तक स्टेट डाटा सेंटर साइबर हमले से नहीं उबर जाता है। वित्त विभाग के लिए सुकून की बात यह है कि साइबर हमला तीन अक्तूबर को हुआ। यदि वह दो दिन पहले होता तो राज्य के करीब डेढ़ लाख राज्य कर्मचारियों का वेतन लटक जाता।
सचिव वित्त के मुताबिक, कर्मचारियों का वेतन पहले ही जारी हो चुका है। वित्त विभाग ने तीन अक्तूबर तक सभी कर्मचारियों की वेतन जारी कर दिया था। स्टेट डाटा सेंटर में मालवेयर के कारण सभी विभागों की वेबसाइट बंद हो गई थी, लेकिन चार दिन बाद भी मालवेयर की पहचान नहीं हो पाई है। साइबर हमला कहां से हुआ, यह भी अभी तक पता नहीं चल रहा है। केंद्रीय एजेंसी संग ही केंद्र व राज्य के विशेषज्ञ पता करने में जुटे हैं। इसके साथ ही सभी वेबसाइट शुरू नहीं हो पाई है। सरकार का दावा है कि सोमवार तक सभी वेबसाइट शुरू हो जाएंगी।
साइबर हमले से जीएसटी का काम पर कोई असर नहीं पड़ा है। जीएसटी केंद्र सरकार की वेबसाइट से चलती है, लेकिन वैट प्रणाली में पेट्रोल-डीजल से प्राप्त होने वाला टैक्स का काम प्रभावित है। जब तब वेबसाइट शुरू नहीं हो जाती, इसके लिए राज्य कर विभाग फार्म-16 भरने के लिए ऑफलाइन व्यवस्था शुरू की है।