क्यों विकराल हो रहे हैं पहाड़

पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में विकास कार्यों ने तेज रफ्तार पकड़ी है। इन विकास कार्यों में चारधाम ऑल वेदर रोड और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण काफी तेज गति से चल रहा है। एक ओर जहां ऋषिकेश से चंबा तक एनएच 98 वाले मार्ग पर रोड कटाई का काम पूरा हो चुका है तो वहीं ऋषिकेश से श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचने वाले मार्ग पर कार्य काफी तेजी से चल रहा है। लेकिन इस साल हुई भारी बारिश ने इन तमाम विकास कार्यों के रफ्तार में लगाम लग दी है। जगह जगह पर हुए भारी भूस्खलनों ने इन विकास कार्यों की पोल सबके सामने खोल दी है।

ऋषिकेश से श्रीनगर वाले रास्ते पर तोता घाटी से लेकर ऋषिकेश तक कई जगहों पर भूस्खलन देखने को मिल रहा है। वहीं ऋषिकेश से चंबा वाले मार्ग पर भी पिछले 2 महीनों में लगभग 40 से अधिक जगहों पर भारी भूस्खलन हुआ है जिससे यह साबित होता है कि किस तरह से इन विकास कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है। वैज्ञानिकों की मानें तो पहाड़ में इस वक्त जो विकास कार्य किया जा रहा है वहां अवैज्ञानिक तरीकों से किया जा रहा है। उसमें किसी तरह की भी वैज्ञानिक स्थिति का मापन नहीं किया है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अलग अलग जगहों पर हुए भूस्खलन में अब तके कई जाने जा चुकी हैं। इस साल पहले की तरह छोटे-छोटे भूस्खलन नहीं बल्कि काफी विकराल भूस्खलन देखने को मिले हैं जहां पर पूरे के पूरे पहाड़ और चटानें चंद मिनटों में ही मलबे में तब्दील हो गई।
पिछले दिनों हिमाचल के किन्नौर और धर्मशाला से भी सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियो सामने आए थे जहां बड़े बड़े पहाड़ ओर चटानें मिट्टी में तब्दील हो गए थे , उसके बाद उत्तराखंड के नैनीताल, श्रीनगर, देवप्रयाग, चंबा, फकोट और नागणी से भी कुछ ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर आए जो कि वाकई डरा देने वाले थे। जिनको देखकर ऐसा लग रहा था कि कहीं ना कहीं प्राकृतिक से की जा रही छेड़छाड़ अब इंसानी जीवन को भारी पड़ रही है।
आंकड़ों की बात की जाए तो पिछले 2 महीनों में चारधाम ऑल वेदर रोड में लगभग 200 जगहों पर भारी भूस्खलन हुआ।
आँकड़े।

जिससे कई सड़कें अवरुद्ध हो गई वहीं पीडब्ल्यूडी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में साफ तौर पर साबित होता है कि उत्तराखंड में हो रही इतनी भारी मात्रा में वर्षा से लगभग 600 से ज्यादा सड़कें अवरुद्ध हो गई जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अमूमन उत्तराखंड में मानसून मई-जून से शुरू होकर अगस्त के अंतिम सप्ताह तक खत्म हो जाता था लेकिन इस साल यहां मानसून लगभग-लगभग अभी तक 15 दिन आगे बढ़ चुका है और मौसम विभाग का अनुमान है कि यह लगभग 15 दिन और चल सकता है जिससे कि कहीं ना कहीं एक वैज्ञानिक अदुपति पैदा हो गई है कि क्या प्राकृतिक से हो रही छेड़छाड़ के बाद मानसून भी अब बदलने लगा है…? जो कि 15 दिन आगे बढ़ चुका है।

लगातार पिघल रहे हैं ग्लेशियर

पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों की माने तो तो प्राकृतिक से छेड़छाड़ का भारी खामियाजा अब आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। हिमालय के ग्लेशियर लगातार धीरे-धीरे पिघल रहे हैं और वहां खोखले होते जा रहे हैं। जो कि बाद में टूट कर पानी का विकराल रूप धारण कर रहे हैं। ऐसा ही एक नमूना पिछले साल उत्तराखंड की जोशीमठ में देखने को मिला था। जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर आने वाले समय में प्राकृतिक स्रोतों के साथ वक्त रहते छेड़छाड़ कम न कि गई तो इसके परिणाम ओर भी विकराल हो सकते हैं। साथ ही अगर वक्त रहते इनके सुधारों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले 30 सालों में हमें इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here